कहीं टिकता नहीं हैं मन।
निर्णय लेना और उस पर टिके रहना, जो लोग यह पाते हैं कि वे इस कला में कच्चे हैं, उन्हें कुछ लाइफ स्किल सीखने की जरूरत हैं मैं 18 साल का हूँ । मुझे हमेंशा आशंका होती रहती है कि मैं सही कर रहा हूं या गलत। बहुत परेशान रहता हूँ । आप जरा अपने बचपन में झांकिए। कहीं ऐसा तो नहीं था कि आपकों घर में कभी निर्णय लेने नहीं दिया गया या आपकी बातों को घर के बडों ने नकार दिया ? ऐसे बच्चे, जिनका बचपन बहुत हिदायतों और पहरों के बीच गुजरता है, उन्हें बाद में अपने निर्णय लेने और उस पर टिके रहने मे दिक्कत आती है। इसका असर करियर और व्यक्तिगत संबंधों पर भी पड़ता है।सबसे पहले तो आपको अपने आपसे कुछ बातें करनी होंगी। क्या वजह है कि आपको अपने काम पर यकीन नही होता ? क्या आपको असफलता का डर है ? आप नियमित योग करें, ध्यान करें।इससे आपके मस्तिष्क को जरूरी आॅक्सीजन मिलेंगी। इससे आप ठंडे दिमाग से सोच पाएंगे। एक बात और, हम जो भी निर्णय लेते हैं, वे हमारे होते हैं और इसका परिणाम भी हमें ही भोगना होता है।चाहे अच्छा हो या बुरा। इस बात को लेकर डरें नहीं। यह तो दुनिया का नियम है। अगर इस पर भी आपकों शंका हो रही है तो...